Bank Fraud India: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान बैंकों ने कुल ₹36,014 करोड़ के फ्रॉड के मामले दर्ज किए हैं। यह आंकड़ा 2023-24 में दर्ज ₹30,252 करोड़ की तुलना में लगभग 19% अधिक है।
RBI के अनुसार इन मामलों में सबसे ज्यादा नुकसान सरकारी बैंकों को हुआ है, जो कुल धोखाधड़ी राशि का लगभग 63% हिस्सा अपने ऊपर ले गए। वहीं प्राइवेट बैंकों की हिस्सेदारी 33% और विदेशी बैंकों की करीब 4% रही।
सबसे ज्यादा फ्रॉड किस प्रकार के हुए?
2024-25 में दर्ज किए गए फ्रॉड केस में सबसे ज्यादा मामले लोन फ्रॉड, क्रेडिट कार्ड से संबंधित धोखाधड़ी, इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड, और केवाईसी मैनिपुलेशन से जुड़े हुए थे।
लोन फ्रॉड्स मुख्यतः बड़े कॉरपोरेट्स और शेल कंपनियों के माध्यम से हुए, जहां कर्ज लेने के बाद जानबूझकर डिफॉल्ट कर दिया गया। डिजिटल फ्रॉड्स में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी UPI और मोबाइल बैंकिंग चैनलों के माध्यम से हुई, जहां ग्राहकों को फेक कॉल्स, फिशिंग ईमेल्स और नकली ऐप्स के जरिए निशाना बनाया गया।
सरकारी बैंक क्यों सबसे ज्यादा प्रभावित हुए?
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी बैंकों में क्रेडिट मॉनिटरिंग की कमजोर प्रणाली, पुराने टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर, और डिजिटल ट्रांजिशन की धीमी गति के कारण धोखाधड़ी की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं।
इसके अलावा, सरकारी बैंकों में अक्सर पॉलिटिकल प्रेशर, कम संसाधनों वाली इनवेस्टिगेशन यूनिट्स, और बड़े कर्जदारों को राइट ऑफ करने की प्रवृत्ति के कारण भी फ्रॉड की रोकथाम में कठिनाई आती है।
RBI की ओर से क्या कदम उठाए गए हैं?
RBI ने बढ़ते फ्रॉड के मद्देनज़र बैंकों को ईWS (Early Warning Signal) सिस्टम को और मजबूत बनाने का निर्देश दिया है। साथ ही, FRMS (Fraud Risk Management System) को अपनाने और स्ट्रेस्ड अकाउंट्स की लगातार मॉनिटरिंग करने के लिए गाइडलाइन जारी की गई है।
इसके अतिरिक्त, डिजिटल फ्रॉड को लेकर RBI ने 24×7 साइबर हेल्पलाइन, AI-बेस्ड ट्रांजेक्शन ट्रैकिंग, और सेंट्रल बैंकिंग फ्रॉड रिपोर्टिंग पोर्टल को और एक्टिव बनाने के निर्देश दिए हैं।
क्या निवेशकों और ग्राहकों को चिंता करनी चाहिए?
भले ही फ्रॉड के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि बैंकिंग सिस्टम अब पहले से अधिक सतर्क हो चुका है। बैंकों में आंतरिक नियंत्रण, साइबर सिक्योरिटी मॉनिटरिंग, और ग्राहक अलर्ट सिस्टम को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है।
हालांकि, आम लोगों को भी सजग रहने की जरूरत है। अनजान कॉल्स, फर्जी ऐप्स और संदिग्ध ट्रांजेक्शन से हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए।
निष्कर्ष:₹36,014 करोड़ का फ्रॉड सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि बैंकिंग सिस्टम में छिपी गड़बड़ियों का संकेत है। सरकारी बैंकों को जहां मॉनिटरिंग सिस्टम को अपग्रेड करना होगा, वहीं RBI को टेक्नोलॉजी-बेस्ड इंटेलिजेंस सिस्टम को और ज्यादा कारगर बनाना होगा।
यदि समय रहते सुधार नहीं किए गए तो आने वाले वर्षों में यह समस्या और गहरी हो सकती है। ग्राहक जागरूकता, बैंकिंग नियमों का पालन और टेक्नोलॉजी में निवेश ही इसका स्थायी समाधान है।
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