FD तोड़ूं या उस पर लोन लूं? जानिए एक मिनट में कौन-सा फैसला आपके लिए फायदेमंद रहेगा

ऐसी स्थिति में दो रास्ते आपके सामने होते हैं — या तो आप अपनी Fixed Deposit (FD) तोड़ दें और जरूरत की रकम निकाल लें, या फिर उसी FD को गिरवी रखकर Loan Against FD ले लें। दोनों में से कौन-सा बेहतर है? आइए समझते हैं।

FD तोड़ने पर क्या नुकसान होता है?

बैंक एफडी को अगर मैच्योरिटी से पहले तोड़ा जाए, तो उस पर मिलने वाला ब्याज घटकर कम हो जाता है। सामान्यतः 0.5% से लेकर 1% तक की ब्याज कटौती होती है। साथ ही जो कंपाउंड इंटरेस्ट समय के साथ मिलना था, वह भी खत्म हो जाता है। यानी आप न सिर्फ पेनल्टी देते हैं बल्कि अपनी FD की लॉन्ग टर्म ग्रोथ भी रोक देते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर आपने ₹2 लाख की FD 7% पर 3 साल के लिए कराई है और आप 1 साल में ही तोड़ते हैं, तो आपको सिर्फ 5.5%-6% ब्याज दर से ही पैसा मिलेगा — और कुछ बैंकों में अतिरिक्त पेनल्टी भी लग सकती है।

FD पर लोन लेने का क्या फायदा?

FD पर बैंक आपको आमतौर पर 90% तक का लोन दे देते हैं, और वो भी FD पर मिलने वाले ब्याज + 1% के आसपास की दर पर। यानी अगर आपकी FD 7% पर चल रही है, तो लोन पर आपसे सिर्फ 8% ब्याज लिया जाएगा। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि:

  • FD बनी रहती है, ब्याज कमाना जारी रहता है
  • जरूरत पड़ने पर तुरंत कैश उपलब्ध
  • कोई क्रेडिट स्कोर की जरूरत नहीं
  • लोन पर समय से पहले भुगतान पर कोई भारी पेनल्टी नहीं

FD तोड़ना बनाम FD पर लोन – क्या है बेस्ट फैसला?

अगर आपकी फाइनेंशियल जरूरत अल्पकालिक (1–6 महीने) की है और आप उसे जल्दी चुका सकते हैं, तो FD पर लोन लेना ज्यादा फायदेमंद होता है। इससे आपका निवेश सुरक्षित रहता है, ब्याज मिलता रहता है और लोन भी किफायती दर पर निपटाया जा सकता है।

वहीं अगर जरूरत बहुत बड़ी है, और आप जानते हैं कि FD फिर से जल्द नहीं बना पाएंगे — तो FD तोड़ना ही आखिरी उपाय हो सकता है।

निष्कर्ष: अगर आपकी FD ज्यादा ब्याज पर है और रकम छोटी है, तो उसे तोड़ना नुकसानदायक हो सकता है। इसके बजाय FD पर लोन लें — वह सस्ता भी होता है और निवेश भी बना रहता है। लेकिन अगर आपको बहुत बड़ी रकम चाहिए, और कोई दूसरा साधन नहीं है — तब FD ब्रेक करना मजबूरी हो सकता है।

Disclaimer: यह लेख सामान्य जानकारी और उदाहरण पर आधारित है। हर बैंक की FD और लोन पॉलिसी अलग हो सकती है। कृपया किसी वित्तीय सलाहकार या बैंक प्रतिनिधि से चर्चा कर सही निर्णय लें।

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