Loan Prepayment Formula: लोन की किस स्टेज पर करें प्रीपेमेंट? सही समय जान लिया तो लाखों बचेंगे

भारत में लोन लेने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है चाहे वह होम लोन हो, पर्सनल Loan हो या व्हीकल लोन। लेकिन एक सवाल जो अधिकतर लोग नहीं जानते वो ये है: लोन की किस स्टेज में प्रीपेमेंट करने से सबसे ज्यादा फायदा होता है? कई लोग लोन का आखिरी हिस्सा खत्म करने में जल्दबाज़ी दिखाते हैं, जबकि असली बचत तो लोन की शुरुआती किश्तों को चुकाकर होती है।

EMI का गणित: शुरुआत में ज़्यादा ब्याज, कम मूलधन

जब आप EMI भरते हैं तो लोन की शुरुआत में EMI का बड़ा हिस्सा ब्याज होता है और मूलधन का हिस्सा कम। जैसे-जैसे समय बीतता है, यह अनुपात बदलता है ब्याज घटता है और मूलधन बढ़ता है। इसलिए अगर आप लोन की शुरुआती 1 से 5 सालों में प्रीपेमेंट करते हैं तो आप भविष्य में लगने वाला भारी ब्याज बचा सकते हैं।

उदाहरण से समझिए: कैसे लाखों की बचत होगी

मान लीजिए आपने ₹30 लाख का होम लोन 8.5% ब्याज पर 20 साल के लिए लिया है। अगर आप सिर्फ पहले 3 सालों में ₹5 लाख का प्रीपेमेंट करते हैं, तो आप कुल ₹9–10 लाख तक का ब्याज बचा सकते हैं। वहीं अगर आप यही ₹5 लाख का प्रीपेमेंट लोन के अंतिम 3 साल में करते हैं, तो आपको मुश्किल से ₹1.5–2 लाख की ही बचत होगी।

बैंक की चाल और आपकी समझ

बैंक यही चाहते हैं कि आप प्रीपेमेंट लास्ट के वर्षों में करें ताकि वो पहले ही अधिकतर ब्याज वसूल लें। लेकिन अगर आप शुरुआती वर्षों में स्मार्ट प्रीपेमेंट करते हैं, तो न सिर्फ आपका लोन टेन्योर कम होगा बल्कि आप बैंक को देने वाला ब्याज भी लाखों में घटा सकते हैं।

निष्कर्ष: अगर आपने लोन लिया है या लेने की सोच रहे हैं, तो लोन चुकाने की प्लानिंग उसी दिन से करें जब आप पहली EMI भरते हैं। प्रीपेमेंट का सही समय वही है जब ब्याज का हिस्सा सबसे ज़्यादा होता है यानी लोन के शुरुआती साल। ये फॉर्मूला समझ लिया तो आप बैंक से एक कदम आगे रहेंगे।

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। इसमें दी गई जानकारी वित्तीय सलाह नहीं है। किसी भी निवेश या प्रीपेमेंट निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श ज़रूर लें।

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